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Wednesday, March 4, 2009

माँ का दु:खी होना वाजिब है

माँ का दु:खी होना वाजिब है
क्योंकि
उसने बहुत दिन से
अपने बेटे को
खिलखिलाते नहीं देखा

माँ का दु:खी होना वाजिब है
क्योंकि
वह देखती है
कि जब सब सो जाते हैं
तो जागता रहता है
बस उसका अपना अधेड़ होता बेटा।
और जाने क्या-क्या लिखता रहता है

उसका लिखा माँ पढ़ती है
अखबारों में, पत्रिकाओं में
बेटे के दु:
बेटे की लिखी
कविताओं में, नज्मों में,
कहानियों में
हालाँकि
उसे वे सब
बहुत समझ नहीं आती
पर उसके होते हुए
बेटा दु: कागजों पर क्यों लिखता है ?
क्यों नहीं बेटा पहले की तरह
दु:खी होकर
उसके आँचल का
सहारा लेता
सोचती है मां
और दुखी हो जाती है
माँ का दु:खी होना सचमुच वाजिब है

1 comment:

  1. लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

    बहुत सुंदर लगी आपकी कविता
    January 17, 2009 11:40 PM
    रचना गौड़ ’भारती’ said...

    कलम से जोड्कर भाव अपने
    ये कौनसा समंदर बनाया है
    बूंद-बूंद की अभिव्यक्ति ने
    सुंदर रचना संसार बनाया है
    भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
    लिखते रहि‌ए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
    कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
    मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
    www.zindagilive08.blogspot.com
    आर्ट के लि‌ए देखें
    www.chitrasansar.blogspot.c

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