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Saturday, December 26, 2009

औरत को समझने के लिये-?

1
औरत
रो लेती है
हर छोटे या
बड़े दु:ख पर
और फिर
पांव पसार कर
पीठ मोड़कर सो जाती है

जब कि
पुरुष
रोता नहीं छीजता है,
खीजता है
दांत पीसता है
छत निहारता है
पंखे की पंखुडिय़ां गिनता है
बस जागता रहता है
सारा दिन
सारी रात
बिना बात

औरत को
समझने के लिये
गज-भर का
कलेजा चाहिये
दिल नहीं
दिल की जगह
भी भेज़ा चाहिये


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मै भला कब सुधरने वाला हूँ



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4 comments:

  1. औरत को समझना मुश्किल ही नहीं नामूनकिन भी है ।

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  2. औरत को समझने के लिए गज भर का कलेजा चाहिए .... दिल और दिमाग भी चाहिए ...सिर्फ औरत को ही नहीं प्रत्येक इंसान को समझने के लिए भी यही सब कुछ चाहिये ...!!

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  3. वैसे वाणी दी सही कह रहीं हैं....

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  4. आदरणीय श्याम जी वाणी जी की टिप्पणी पर कुछ कहना चाहेंगे? यदि हाँ तो मैं भी जानना चाहूँगा.

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