!!!

Thursday, June 25, 2009



पत्थर
फ़ेंकना
तुझपर
हो सकती है
उसकी मजबूरी भी
पर
तू भी तो
जाता है
आदतन
उसकी
खिड़की के सामने



मेरे
गुनाहों
मेरी खताओं
की सजा देता गर वो
तो कोई बात न थी

पर उसने तो
जलील किया हमेशा
मेरी चाहत को

7 comments:

  1. man ke bhwanao ko badi hi khubsoorati se byan kari hai............

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  2. खूबसूरती से लिखे गए मनोभाव.

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  3. पर उस ने जो जलील किया मेरी चाहत को...
    भई जबाब नही आप की कलम का, बहुत सुंदर.
    धन्यवाद

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  4. क्या बात है, बहुत उम्दा!

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  5. खिड़कियां भी क्या करें – इन्होने चोट खाने के सुख का एहसास जो करना है. बहुत सुन्दर

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  6. sundar manobhavoM ko darshaatee badiyaa rachana aabhaar

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