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Wednesday, June 24, 2009

मौन की बारी-कविता


कहने
सुनने को
कुछ नहीं
रहा बाकी
लड़ाइयां संबंधो की
हमने
लड़ डालीं
सारी की सारीं
अब है
मौन की बारी

6 comments:

  1. सौ वक्ताओं पर एक चुप्पा भारी होता है जी।
    जमाए रहिए यह मौन व्रत।:)

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  2. सही कहा!! अब मौन की बारी है!

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  3. BAHUT SUNDAR PICS ...........OUR WICHAAR BHI .........AB KUCHH NAHI RAHI KAHANE KE LIYE YA SUNANE KE LIYE

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  4. मोन सुना है सब से अच्छा है, चलिये अगली लडाई की तेयारी, लेकिन पहले मोन धारन कर के थोडी उर्जा जमा कि जाये :)
    बहुत सुंदर कविता
    धन्यवाद

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  5. सब कुछ मौन ने ही कह दिया .

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