!!!

Friday, June 19, 2009

प्रश्न उठा-


प्रश्न उठा
??
दुख:
का सागर है अपार
कठिन है
पाना इसका पार


समाधान गुना
तो छोड़
कश्ती को
मझधार
अपना ले
लहरों को
कर ले
तूफानो से प्या

8 comments:

  1. बहुत प्रेरक रचना श्यामजी...बधाई...
    नीरज

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  2. प्रश्‍न और उत्‍तर। अच्‍छा लगा आपका यह तेवर।

    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  3. ek preana jagati huee kawita .......aise hi likhate taki ham jaiso ko kuchh sikh mile .......atisundar

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  4. bahut sunder. chitra bhi bahut sunder

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  5. bahut hi khoobsoorat bhav..........prashna aur uttar dono hi lajwaab

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  6. छुटकी अच्छी लगी ,इसी लिए प्रश्न छोड़ कर जा रहा हूँ ; उत्तर
    की आशा में

    कुछ यक्ष प्रश्न भी होते है ,
    कैसे इनसे छुटकारा पाएंगे ,
    लहरों -तुफानो से कर यारी ,
    खुद तो पार निकल जायेंगे ,
    छोड़ी जो मझधार कश्ती ,
    औरों को कैसे पार लगायेंगे ?

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