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Friday, February 19, 2010
मुखौटे और यथार्थ
प्यार को
मुखौटे मत पहनाओ
मानता हूँ
सभी मुखौटे
बुरे नहीं होते
कुछ तो
यथार्थ से भी सुन्दर होते हैं
पर मुखौटे
मुखौटे हैं
यथार्थ नहीं
बुरा या भला
मुखौटा
यथार्थ को ढक लेता है
अपनी अच्छाई या बुराई से
यथार्थ
को यथार्थ रहने दो
मत
औढ़ाओ उसे
अच्छाई या बुराई ।
प्यार भी
सिर्फ प्यार रहे
न अच्छा
न बुरा-प्यार बस प्यार
न हो
वह देह
न हो देह व्यापार
17ण्2ण्96
हर सप्ताह मेरी एक नई गज़ल व एक फ़ुटकर शे‘र हेतु
http://gazalkbahane.blogspot.com/
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