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Monday, August 17, 2009

स्कॉच से भूख जगाकर ....

कभी
खाली पेट
रह
मन्युस्पलैटी के
बम्बे से
पानी पीकर
मैने क्रान्ति-गीत
लिखे थे ।
अब
स्कॉच से
भूख जगाकर
मैं
सत्ता का इतिहास
लिखा करता हूं

8 comments:

  1. बढ़िया उत्प्रेरक ...आपकी विचारों और भावों का..

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  2. बहुत ही सुन्दर भाव .....बधाई

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  3. बेहतरीन अभिव्यक्ति.सुन्दर.

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  4. वाह !!! वाह !!! वाह !!! क्या बात कही आपने......वाह !!!!

    यथार्थ kathor यथार्थ !!!

    बस मुग्ध ही कर लिया आपकी इस अतिसंक्षिप्त रचना की गहरी बात ने....

    बहुत बहुत सुन्दर रचना !!!

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  5. क्या बात है. कविता में नयापन लगा.

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  6. बहुत गहरी बात कह गये हो मित्र,
    इस चुटीले व्यंग्य में।

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