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Wednesday, August 5, 2009

***इंसान ही देख सकता है सपने/कविता


आज
का युवा
मेहनती है ,फुर्तीला है
उसके भीतर भरा
जानकारियों [इन्फर्मेसंस ] का कबीला है
वह चाहता है
उड़ना आकाश में
और सिर्फ़ सितारे छूना भर
नहीं रह गयी है
उसकी हसरत
वह तो पकड़ना चाहता है
सूरज को
बल्कि ठीक कहूँ तो
तो उसकी तमन्ना है
ख़ुद ही सूरज हो जाने की
सूरज होना या
सूरज होने की तमन्ना करना
कोई ग़लत बात नहीं है

उसका सूरज भी
असल में एक
आदमी ही है
नाम है उस सूरज
या आदमी का
बिल -गेट्स
मगर
वह भूल जाता है की
बिल बनने के पीछे
थी खड़ी लिंडा गेट्स
और उसकी दो मासूम प्यारी बच्चियां
जब की
अधिकांस युवा
चाहते हैं यह दौड़
अकेले ही दौड़ना
घर- परिवार
माता- पिता
पति या पत्नी
यहाँ तक की बच्चों
को भी पीछे छोड़
सूरज बनने को
लगता है दौड़
और जब नहीं बन पाता
सूरज
वह
बन बैठता है
ओसामा
जैसे हर आदमी नहीं बन
सकता सूरज
ठीक वैसे ही
हर
ओसामा भी
बम नहीं फोड़ता -फोड़ सकता
पर
वह तोड़ सकता ही
प्यार का बंधन को
घर को परिवार को
इस नाकामी और नफरत
के ज्वार में
क्योंकि
भूल जाता ही वह
कि
प्यार ही
ही वह उर्जा
जो बनाती ही
आदमी को
इंसान
बेहतर इंसान
और
कुछ भी कहें आप
इंसान होना ही
बेहतर है
सूरज या सितारा होने से
क्योंकि
केवल
इंसान ही
देख सकता है
सपने
और केवल
इंसान ही
कर सकता
प्यार
.....................................

मेरा एक और ब्लाग
http://gazalkbahane.blogspt.com/















10 comments:

  1. sapane dekho magar pura bhee karo

    nice post

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  2. सपने देखना ही आप को आगे ले जाता है।

    रक्षाबंधन पर शुभकामनाएँ! विश्व-भ्रातृत्व विजयी हो!

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  3. bahut hi gahare bhaw hai aapake kawita ke ......atisundar

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  4. केवल इंसान ही देख सकता है सपने और केवल इंसान ही कर सकता है प्यार. वाह सर वाह बेहतरीन कही है आपने. आज आपके ब्लाग पर आया हूं अच्छा लग रहा है

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  5. urja se bhari kavita
    umda kavita
    ______________abhinandan is kavita ka............

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  6. ठीक कहूँ तो
    उसकी तमन्ना
    खुद ही सूरज हो जाने की है
    लाजवाब बहुत सुन्दर अभिवयक्ति है नमन है आपकी कलम को

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  7. बहुत ही खूबसूरत रचना.....सोचने को मजबूर करती. आभार.

    गुलमोहर का फूल

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  8. shyaam ji , bahut gahre bhaav ... sapne hum hi dekh sakte hai lekin wo ache ho , insaniyat ke ho ...


    regards

    vijay
    please read my new poem " झील" on www.poemsofvijay.blogspot.com

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  9. उसकी तमन्ना है खुद ही सूरज हो जाने की ..

    इंसान ही देख सकता है सपने और
    इंसान ही कर सकता है प्यार

    कितना बेहतरीन लिखा है आपने श्याम जी
    सच्चाई से भरपूर !!

    आपके हौसलावर्धक शब्दों का भी बहुत आभार !!

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  10. इतनी सम्वेदनात्मक कविता पढ़कर देर तक सोचना पड़ गया. हालाँकि कैरियर पर रिश्तों की भेंट चढा देना अब नया मामला नहीं रह गया है लेकिन वर्तमान में इस प्रक्रिया में निष्ठुरता और निर्ममता दोनों का समावेश हो गया है. आज का युवा आसमान का भी सीना चीर देना चाहता है, उसमें यह सामर्थ्य भी है लेकिन इस मुद्दे पर उसका सबसे बड़ा साथे स्वार्थ बना हुआ है. शायद आपको भी यही कचोट रहा है.

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