का युवा
मेहनती है ,फुर्तीला है
उसके भीतर भरा
जानकारियों [इन्फर्मेसंस ] का कबीला है
वह चाहता है
उड़ना आकाश में
और सिर्फ़ सितारे छूना भर
नहीं रह गयी है
उसकी हसरत
वह तो पकड़ना चाहता है
सूरज को
बल्कि ठीक कहूँ तो
तो उसकी तमन्ना है
ख़ुद ही सूरज हो जाने की
सूरज होना या
सूरज होने की तमन्ना करना
कोई ग़लत बात नहीं है
उसका सूरज भी
असल में एक
आदमी ही है
नाम है उस सूरज
या आदमी का
बिल -गेट्स
मगर
वह भूल जाता है की
बिल बनने के पीछे
थी खड़ी लिंडा गेट्स
और उसकी दो मासूम प्यारी बच्चियां
जब की
अधिकांस युवा
चाहते हैं यह दौड़
अकेले ही दौड़ना
घर- परिवार
माता- पिता
पति या पत्नी
यहाँ तक की बच्चों
को भी पीछे छोड़
सूरज बनने को
लगता है दौड़
और जब नहीं बन पाता
सूरज
वह
बन बैठता है
ओसामा
जैसे हर आदमी नहीं बन
सकता सूरज
ठीक वैसे ही
हर
ओसामा भी
बम नहीं फोड़ता -फोड़ सकता
पर
वह तोड़ सकता ही
प्यार का बंधन को
घर को परिवार को
इस नाकामी और नफरत
के ज्वार में
क्योंकि
भूल जाता ही वह
कि
प्यार ही
ही वह उर्जा
जो बनाती ही
आदमी को
इंसान
बेहतर इंसान
और
कुछ भी कहें आप
इंसान होना ही
बेहतर है
सूरज या सितारा होने से
क्योंकि
केवल
इंसान ही
देख सकता है
सपने
और केवल
इंसान ही
कर सकता
प्यार
.....................................
मेरा एक और ब्लाग
http://gazalkbahane.blogspt.com/
sapane dekho magar pura bhee karo
ReplyDeletenice post
सपने देखना ही आप को आगे ले जाता है।
ReplyDeleteरक्षाबंधन पर शुभकामनाएँ! विश्व-भ्रातृत्व विजयी हो!
bahut hi gahare bhaw hai aapake kawita ke ......atisundar
ReplyDeleteकेवल इंसान ही देख सकता है सपने और केवल इंसान ही कर सकता है प्यार. वाह सर वाह बेहतरीन कही है आपने. आज आपके ब्लाग पर आया हूं अच्छा लग रहा है
ReplyDeleteurja se bhari kavita
ReplyDeleteumda kavita
______________abhinandan is kavita ka............
ठीक कहूँ तो
ReplyDeleteउसकी तमन्ना
खुद ही सूरज हो जाने की है
लाजवाब बहुत सुन्दर अभिवयक्ति है नमन है आपकी कलम को
बहुत ही खूबसूरत रचना.....सोचने को मजबूर करती. आभार.
ReplyDeleteगुलमोहर का फूल
shyaam ji , bahut gahre bhaav ... sapne hum hi dekh sakte hai lekin wo ache ho , insaniyat ke ho ...
ReplyDeleteregards
vijay
please read my new poem " झील" on www.poemsofvijay.blogspot.com
उसकी तमन्ना है खुद ही सूरज हो जाने की ..
ReplyDeleteइंसान ही देख सकता है सपने और
इंसान ही कर सकता है प्यार
कितना बेहतरीन लिखा है आपने श्याम जी
सच्चाई से भरपूर !!
आपके हौसलावर्धक शब्दों का भी बहुत आभार !!
इतनी सम्वेदनात्मक कविता पढ़कर देर तक सोचना पड़ गया. हालाँकि कैरियर पर रिश्तों की भेंट चढा देना अब नया मामला नहीं रह गया है लेकिन वर्तमान में इस प्रक्रिया में निष्ठुरता और निर्ममता दोनों का समावेश हो गया है. आज का युवा आसमान का भी सीना चीर देना चाहता है, उसमें यह सामर्थ्य भी है लेकिन इस मुद्दे पर उसका सबसे बड़ा साथे स्वार्थ बना हुआ है. शायद आपको भी यही कचोट रहा है.
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