कभी
खाली पेट
रह
मन्युस्पलैटी के
बम्बे से
पानी पीकर
मैने क्रान्ति-गीत
लिखे थे ।
अब
स्कॉच से
भूख जगाकर
मैं
सत्ता का इतिहास
लिखा करता हूं
!!!
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दोस्तो,मैं इस ब्लाग पर अपनी प्रकाशित रचनाएं/ कविता कहानी तथा गीत आदि पोस्ट करता हूं ज़े सभी रचनाएं पुस्तक रूप में एवम अनेक पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं अत: इनका कापी राइट मेरे पास है.इन्हे कहीं उद्धृत करने के लिये आप अनुमति ले सकते हैं-श्याम सखा श्याम
बढ़िया उत्प्रेरक ...आपकी विचारों और भावों का..
ReplyDeletebahut khoob !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भाव .....बधाई
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति.सुन्दर.
ReplyDeleteवाह !!! वाह !!! वाह !!! क्या बात कही आपने......वाह !!!!
ReplyDeleteयथार्थ kathor यथार्थ !!!
बस मुग्ध ही कर लिया आपकी इस अतिसंक्षिप्त रचना की गहरी बात ने....
बहुत बहुत सुन्दर रचना !!!
क्या बात है. कविता में नयापन लगा.
ReplyDeleteबहुत गहरी बात कह गये हो मित्र,
ReplyDeleteइस चुटीले व्यंग्य में।
अजब-गजब!!!
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