क्योंकि
उसने बहुत दिन से
अपने बेटे को
खिलखिलाते नहीं देखा
माँ का दु:खी होना वाजिब है
क्योंकि
वह देखती है
कि जब सब सो जाते हैं
तो जागता रहता है
बस उसका अपना अधेड़ होता बेटा।
और जाने क्या-क्या लिखता रहता है
उसका लिखा माँ पढ़ती है
अखबारों में, पत्रिकाओं में
बेटे के दु:ख
बेटे की लिखी
कविताओं में, नज्मों में,
कहानियों में
हालाँकि
उसे वे सब
बहुत समझ नहीं आती
पर उसके होते हुए
बेटा दु:ख कागजों पर क्यों लिखता है ?
क्यों नहीं बेटा पहले की तरह
दु:खी होकर
उसके आँचल का
सहारा लेता
सोचती है मां
और दुखी हो जाती है
माँ का दु:खी होना सचमुच वाजिब है
my another blog dedicated to gazal only
http://gazalkbahane.blogspot.com/
वाह! माँ की ममता फिर भी दु:ख को आँचल से लिपटाकर ही मिटा देना चाहती है.
ReplyDeleteदु:ख क्यो औरो से बांट रहा है उसका बेटा
बहुत खूब
maa ka dard bakhubi bayan kiya hai..........sach na jane kab aur kaise ye anbolapan maa bete ke rishte ke beech aa jata hai
ReplyDeletejai ho aapki...........
ReplyDeleteachhi rachna ke liye badhaai !
बेहतरीन भाव...बधाई.
ReplyDelete