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Sunday, August 9, 2009

वाजिब है माँ का दु:खी होना




माँ का दु:खी होना वाजिब है
क्योंकि
उसने बहुत दिन से
अपने बेटे को
खिलखिलाते नहीं देखा

माँ का दु:खी होना वाजिब है
क्योंकि
वह देखती है
कि जब सब सो जाते हैं
तो जागता रहता है
बस उसका अपना अधेड़ होता बेटा।
और जाने क्या-क्या लिखता रहता है

उसका लिखा माँ पढ़ती है
अखबारों में, पत्रिकाओं में
बेटे के दु:
बेटे की लिखी
कविताओं में, नज्मों में,
कहानियों में
हालाँकि
उसे वे सब
बहुत समझ नहीं आती
पर उसके होते हुए
बेटा दु: कागजों पर क्यों लिखता है ?
क्यों नहीं बेटा पहले की तरह
दु:खी होकर
उसके आँचल का
सहारा लेता
सोचती है मां
और दुखी हो जाती है
माँ का दु:खी होना सचमुच वाजिब है

my another blog dedicated to gazal only
http://gazalkbahane.blogspot.com/

4 comments:

  1. वाह! माँ की ममता फिर भी दु:ख को आँचल से लिपटाकर ही मिटा देना चाहती है.
    दु:ख क्यो औरो से बांट रहा है उसका बेटा
    बहुत खूब

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  2. maa ka dard bakhubi bayan kiya hai..........sach na jane kab aur kaise ye anbolapan maa bete ke rishte ke beech aa jata hai

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  3. jai ho aapki...........
    achhi rachna ke liye badhaai !

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  4. बेहतरीन भाव...बधाई.

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