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Monday, November 16, 2009

उलट-बांसी

-भाव कविता का शरीर होता है और छंद कविता की आत्मा
मित्रो आज बह्स में हम एक मु्द्दआ लेते है बहस भर के लिये।क्योंकि मेरा मानना है कि बहस अगर सार्थक हो तो मुद्दए सुलझजाते है।गीत गज़ल या कविता को समझने के लिये दो बातें सभी कहते हैं ।लोग कहते हैं कि भाव कविता की आत्मा है।अब आत्मा है तो शरीर क्या है।मेरा मानना है कि भाव कविता ही नहीं हर अभिव्यक्ति का शरीर है जब कि छंद कविता की आत्मा है।गीता में लिखा है कि शरीर चाहे कीड़े का हो हाथी का हो आदमी का हो सबमें एक सरीखी आत्मा वास करती है।और हम जानते हैं कि हम शरीरको देख सकते है आत्मा को नहीं ।तो इसे देखें
दिले नादां तुझे हुआ क्या है
आखिर इस दर्द की दवा क्या है
अब सभी कह देंगे कि यह जनाब गालिब का शे है
लेकिन अगर इसे यूं लिख दिया जाए तोऐ नादान दिल तुझको क्या हो गया है और तेरे इस दर्द की दवाई क्या है तो भी क्या आप इसे गालिब का शे कह पाएंगे।पिछले दिनो माइकल जैकसन का निधन हुआ ।उनका शव जनता के दर्शनार्थ रखा गया।टी.वी चैनल्स के उद्घोषक कह रहे थे कि माइकल का शव दर्शनार्थ रखा गया है।किसी ने यह नहीं कहा कि माइकल दर्शनार्थ रखा गया है या लेटा हुआ है।यानि आत्मा के निकलते ही या कह लें सांस के निकलते ही माइकल का शरीर माइकल रह कर मात्र शव रह गया। अब फ़िर से देखें
दिले नादां तुझे हुआ क्या है
आखिर इस दर्द की दुआ क्या है
हमने गालिब के शे से कुछ[छंद-बहर] निकाल दिया
तो यह बता नादान दिल तुझको क्या हो गया है और तेरे इस दर्द की दवाई क्या है---अब इसे कोई नादान ही गालिब का शे कहेगा।तो दोस्तोकविता चाहे गीत हो ,गज़ल हो,दोहा-चौपाई हो या मुक्त-छंद हो-छंद मुक्त नहीं कविता की अत्मा छंद ही होती है उसके बिना वह केवल गद्य का टुकड़ा या कविता का शव भर होता है।

वैसे अनेक लोग तो यही मानते हैं कि भाव आत्मा और छंद शरीर होता है।उनका तर्क है किकोई रचना पढने ,सुनने से पता लग जाता हैकि यह गीत-गज़ल या कविता क्या है अत: छंद कविता का शरीर भाव आत्मा हुए।
आप कहें क्या कहेंगे।


हर सप्ताह मेरी एक नई गज़ल व एक फ़ुटकर शे‘र हेतु
http://gazalkbahane.blogspot.com/

1 comment:

  1. SHYAAM JI ... AAPKI ITNI ACHHEE VYAKHYA KE BAAD KUCH KAHNA BEMAANI HAI ... BAHOOT ACHHAA SAMJHAYA HAI AAPNE ..

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