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Tuesday, May 1, 2012

फ़्रेंच -पिद आतरे-बनाम संस्कृत पदयात्री








श्याम
सखा की यूरोप-
यात्रा- भाग' 1
पिछले
4माह मैं यूरोप यात्रा पर था। , यात्रा के दौरान वक़्त मिलने पर अपने अनुभव हुए आप भी आनन्द लें
हम आज जेनेवा से 45 किलोमीटर दूरी पर बसे फ़्रेंच कस्बे अन्सी की सैर पर आए हैं। यह कस्बा एक विस्तृत झील के किनारे पर बसा है और यह झील एक नहीं कई झीलों से मिलकर बनी है या कह सकते हैं कि एक ही झील को अलग-अलग जगह कई नाम दे दिये गये हैं। कारण कई जगह इस झील का पाट संकरा हो जाता है और इस संकरे पाट के दोनों ओर के हिस्सों को अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। कसबे की खासियत इसका 300 साल पुराना बाजार है जो संकरी गलियों में बसा है। बिल्कुल हमारे पुराने शहरों जैसा। बस इन लोगों ने अपने आर्किटेक्चर को बिल्कुल 200-300 साल पुराना ही रहने दिया है- वही ईंटो वाली दुकानें, यहां तक की बाजार की सड़कें भी कोबल स्टोन हमारी छोटी ईंटों जैसे पत्थरों की बनी हैं। बाजार के दोनों तरफ़ झील से निकली एक नहर है। यह नहर पहले खेत सींचती थी, अब सैलानियों हेतु इस पर होटल हैं, कुछ व्यापारिक संस्थान भी हैं तथा कुछ रिहाइश भी।
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आज जिस बात ने सबसे पहले ध्यान खींचा, वह था इस नहर पर बने एक छोटेपुल पर जाने वाले रास्ते पर लगे बोर्ड ने आप भी देखें चित्र-










फ़्रेंच भाषा में लिखा है- फ़्रेंच भाषा में अगर शब्द के अंत में व्यंजन आजाए तो वह मूक रहता है जैसे restorent को फ़्रांसिसी रेस्तरां बोलते हैं यानी
अन्तिम अक्षर टी (t) मूक रहता है। अब आप चित्र को दोबारा देखें और पढें;
यह बनेगा पिद त्रि और इसे हिन्दी में देखें पदयात्री ऐसे अनेक शब्द है जो लगता है संस्कृत भाषा से मिलते-जुलते हैं और इनका अर्थ भी वही है।






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