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Tuesday, January 4, 2011

कहो कि जीना है-

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कहो कि जीना है
कहो
कि जीना है
माना
तुम्हारा मरना
बहुत कम को खलेगा

पर इससे
घर का खर्च तो बढ़ेगा
क्या
नहीं नौ मन लकड़ी से
दो महीने चूल्हा जलेगा?

कफ+न
से दो कमीज सिलेंगे
स्कूल की ड्रेस के
झीनी - सी
रजाई में तुम्हारे साथ सोने से
बच्चों
को सर्दी तो नहीं सताएगी

तुम
मर गए तो
भला पत्नी टिकुली कैसी लगाएगी?
पांच बच्चों
के अलावा
कभी कुछ दिया है उसको
जो
यह सांकेतिक सुख भी छीना है

कहो
कि जीना है

कबन्ध
हुए हो तो क्या डर है?
यहां कौन
तुमसे कद्दावर है?
किसके कन्धों पर
अब सर है?अब यहां
या तो
भुतहा सन्नाटा है
या फिर
हर-हर महादेव
अल्लाहो-अकबर है

रहो
इस दुनिया में
बहुत काला
गाढ़ा धुंआ फैला है
नीला अम्बर
हुआ मटमैला है
मत भागो
गंगा जल में घुला हलाहल
और किसी को
नहीं, तुम्हें ही पीना है

कहो
कि जीना है

माना
रोटी रोजी के लाले हैं
माना
लोगों ने आस्तीनों में सांप पाले हैं
पर
कुछ वे भी तो हैं,

जो
अपने हाथों पर आसमान संभाले हैं

तुम भी
तो कुछ कर दिखलाओ
सब को
मिलकर ही धरती का
फटा दिल सीना है

कहो कि
जीना है।








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