!!!

Sunday, August 2, 2009

फनियर साँपों सी तेरी याद-kavita shyam

1. भीड़ में


अपनो
की भीड़ में
अकेला होना
कितना अजीब होता है
ऐसे में आदमी
ख़ुद से दूर
और भीड़ के करीब होता है
रिश्ते लिजलिजे रिश्ते
पाँव तले
सांप से फिसल जाते हैं
और मन भयभीत होकर
कांपता रहता है

2. रेखा

जिंदगी
और मौत के
बीच
एक धूमिल सी रेखा है
जों
जाने कब
मिट जायेगी, किसने देखा है

3. माँ

माँ
क्या
सचमुच
बराबर की माँ है
बेटे की- बेटी की
अगर हाँ
तो क्यों
मनाती है वह
बेटे के पैदा होने का जश्न ?
और क्यों
शामिल होती है
बेटी के पैदा होने के मातम में
क्यों ?

4. मात

हजारों
फनियर साँपों सी
तेरी याद
रोज आती है
मेरे वर्तमान को डस जाती है
और
मेरे भविष्य पर
एक कोहरा
सा छा जाता है
मेरी जिंदगी की
शतरंज की बिसात पर
गैर का पदाति
मेरे शह-सवार
को खा जाता है

4 comments:

  1. सुन्दर भावो से भरे इन रचनाओ के बारे मे कुछ कहना ---
    वाह लाजवाब

    ReplyDelete
  2. बहुत खूब. एक से बढ़कर एक. बधाई.

    ReplyDelete
  3. श्याम जी,बहुत सुन्दर व उम्दा रचनाएं हैं। एक से बढ कर एक जोरदार।बधाई स्वीकारें।

    ReplyDelete
  4. श्याम जी चारों रचनाएं लाजवाब हैं !
    इनमें में भाव के साथ चिंतन भी है !

    अत्यंत प्रभावित हुआ पढ़कर !

    हार्दिक शुभकामनाएं !

    आज की आवाज

    ReplyDelete