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Monday, August 15, 2011

जीवन जीलें चोखा चोखा












आंधी या 
तूफान आयें
या छा जाएँ 
घनघोर घटायें 
सूरज 
अविरल जलता  रहता है 
दुःख सुख की 
आंधी में
जीवन भी बस चलता रहता है
कल पिता थे 
आज मैं 
 कल बेटा होगा 
 यही अमरता का है धोखा
 छोड़ उलझने यारा
आ 
जीवन जीलें चोखा चोखा


  










हर सप्ताह मेरी एक नई गज़ल व एक फ़ुटकर शे‘र हेतु http://gazalkbahane.blogspot.com/

6 comments:

  1. Bahut achchhi kavita hai. shubhkamna

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  2. Bahut achchhi kavita hai .chokha-chokha

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  3. कल 06/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  4. वाह ...बहुत ही अच्‍छी शब्‍द रचना ।

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  5. क्या खूब... सादा बयानी... सार्थक सन्देश...
    सादर...

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  6. चोखी बात कही कविता में डॉक्टर साहेब । कविता भी चोखी।

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