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Thursday, February 24, 2011

माँ क्या सचमुच बराबर की माँ है ?

माँ
क्या
सचमुच
बराबर की माँ है
बेटे की
बेटी की
अगर हाँ
तो
क्यों
मनाती है वह
बेटे के पैदा होने  का जश्न ?













और
क्यों होती है
 शामिल
बेटी के
पैदा होने के
मातम में ?
    
                                                                       क्यों  ???


हर सप्ताह मेरी एक नई गज़ल व एक फ़ुटकर शे‘र हेतु http://gazalkbahane.blogspot.com/

3 comments:

  1. नारी जबतक खुदको सम्मान देना नह्ही सीखेगी, तब तक पुरुष भी नहीं सुधरेगा ... बहुत सुन्दर कविता !

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  2. बहुत सही प्रश्न उठाया है आपने....जिस दिन एक माँ स्वयं को इसका उत्तर दे पाने में समर्थ हो जायेगी,स्थति बदल जायेगी..

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  3. जायज प्रश्न उठाया है और रंजना जी का कहना सही है जिस दिन माँ इसका उत्तर देने के काबिल बन जायेगी स्थिति बदल जायेगी।

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