मनमोहक अन्दाज तुम्हारे
सचमुच बेढ़्ब नाज तुम्हारे
मेरे मन के ताजमहल में
निशि-दिन गूंजें साज तुम्हारे
खजुराहो के बिम्ब सरीखे
अंग सभी पुखराज तुम्हारे
डर कर भागे चांद सितारे
जब देखे आगाज़ तुम्हारे
अपने दिल में हमने छुपाये
पगली कितने राज़ तुम्हारे
सुनना भूले गीत ग़ज़ल हम
सुन मीठे अल्फ़ाज तुम्हारे
कल थे हम,हां कल भी रहेंगे
जैसे हम हैं आज तुम्हारे
जब तक दिल में ‘श्याम’रखो तुम
हैं तब तक सरताज तुम्हारे
!!!
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...बहुत सुंदर श्याम जी.मजा आ गया.खास कर इन दोनों शेर ने कहर बरपाया है:-
ReplyDeleteखजुराहो के बिम्ब सरीखे
अंग सभी पुखराज तुम्हारे
और
अपने दिल में हमने छुपाये
पगली कितने राज़ तुम्हारे