tag:blogger.com,1999:blog-2548283554826439665.post6908700545725020850..comments2023-09-28T17:29:25.329+05:30Comments on कथा-कविता-katha-kavita: किशोरियों की तरह कूदते-फाँदतेgazalkbahanehttp://www.blogger.com/profile/13644251020362839761noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-2548283554826439665.post-76741054739484230832009-04-02T14:00:00.000+05:302009-04-02T14:00:00.000+05:30बहुत सुन्दर!!जिसनेन उठाया हो लुत्फबादलों की लुकमीं...बहुत सुन्दर!!<BR/><BR/>जिसने<BR/>न उठाया हो लुत्फ<BR/>बादलों की लुकमींचणी का<BR/><BR/>-अभी पिछले १० दिनों से यही लुत्फ उठा रहा था दार्जलिंग और गंगटोक में. इसी वजह से उपस्थिति दर्ज न कर सका.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2548283554826439665.post-46383236155329517442009-04-01T21:48:00.000+05:302009-04-01T21:48:00.000+05:30मैं बताऊँ....??चाहे कहीं भी क्यूँ ना रहे इंसान इस ...मैं बताऊँ....??चाहे कहीं भी क्यूँ ना रहे इंसान इस धरती पर....मगर उसे धरती के सारे रंग देखने ही होंगे....ठीक उसी तरह....जैसे सारे दुखः झेलने....!!कविता वाकई अच्छी है......भाई....!!राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ )https://www.blogger.com/profile/07142399482899589367noreply@blogger.com